Friday, July 30, 2010

Top 5 male Actors

Top 5 male Actors

its really difficult to pick 5 all time great actors of bollywood. it will always be controversial but i tried to make a list on following criteria like the acting skill, versatality

1) Balraj Sahni :-

2) Dilip Kumar :-

3) Amitabh Bachchan :-

4) Om puri :-

5) Aamir Khan :-

Thursday, July 29, 2010

Broken Heart

मेरा दिल धडका कम और टूटा  ज्यादा  है , यहाँ  तक की  दिल  को  खुद  का  टूटना  भी  धड़कने  जैसा  जरूरी  काम  लगता  था, सब  छोटी  बड़ी  घटना  जोडू  तो  दिल  टूटा  5 बार, लड़की  के  जाने  से  दिल  टूटने  की  जगह … ऐसा  लगने  लगा  था  की  २  बार  दिल  टूटने के  बीच  कोई  लड़की  आती  है ॥
Ishrat-e-katra hai driya me fana ho jana
dard ka hadd se gujrna hai dwaa ho jana

हर  बार  मुआमला  करीब  करीब  एक  सा  होता  था ....
हमसे  क्या  ईमान  पूछती  हो  मुन्नी !
शिया  के  साथ शिया  सुन्नी  के  साथ  सुन्नी !!

लड़की का दिखना ॥ उसकी  नज़र  बचा  कर उसको  देखना .. फिर   बहुत  दिन  तक सिर्फ देखना ..उसके  बगल से  तेज़ bike  से  निकल  जाना .. खुद  को  दिखा  कर  ही  संतोष  कर  लेना .. फिर  लड़की  के  गुस्सा  हो  जाने  की  हद्द  आते  आते, दोस्तों  के  हौसला  अफजाई  और  " प्यार करने  वाले  कभी  डरते  नहीं " की  तर्ज़  पर काफी  घुमा फिरा  कर  propose  करना .. लड़की  का  regular interval पर कुछ तोहफों  के साथ  मिलने  आना  और  अचानक  एक  दिन  तोहफे  की    शक्ल में  अपनी  शादी  की  खबर  लाना  ...आंसू .. दिल  टूटने  की  आवाज़ ..लड़की  का माँ  बाप  से  बगावत  न  करने  की  दुहाई ..बोझील  कदमो  से  वापस  घर ... अँधेरा  कमरा  और .. मेहँदी  हसन  ....
कौन  साथ  होता  है  शब् -ए -तन्हाई  में
ग़म -इ -फुरकत  ही  ग़म -ए -इश्क  को  बहलायेगा
दिल  के  टूटने  पर  होने  वाले  टूकड़ों  की  संख्या  इस  बात  पर  निर्भर  करती  हैं  की  तोड़ने  वाला  कितना  खूबसूरत  है ..इस  लिहाज़  से  मेरे  दिल  के  टूकड़े  मुझे  उठाने  नहीं  बटोरने  पड़ते  थे

..."कोई  यंहा  गिरा  कोई  वहाँ"
 मुझे  मेरी  जिंदगी  में  आने  वाली  हर  लड़की  पिछली  से  ज्यादा  खूबसूरत  और  आखिरी  लगती  थी ..जबकि  मम्मी  को  "इससे  तो  वही  अच्छी  थी ". मम्मी  को  बेटो  की गर्ल-फ्रेंड जैसे  किसी  relation पर  कोई  यकीन  नहीं  था .. मेरा  हर  प्यार  उनको  " लड़की  ने  फंसा  लिया " लगता  था .. अजीब  बात  है  प्यार  का  भंडाफोड़  होने  के  एक  रात  पहले  तक माँ के अनुसार लडकी चेहरे  पर  एक  बचपना  होता  था  जो  की  12 घंटे  बाद  ही
"आज  कल  की  लडकियां  और  नैन  मटक्का" जैसे  adjective में  बदल  जाता  था ..मम्मी  प्यार  करने  के  सारे  दुष्परिणाम  मुझे  समझा  चुकी  थी .. कभी  मैं  समझता  तो  दिल  दागा  दे  जाता  कभी  दिल  समझता  तो  मैं  दगा  दे  जाता  ...
मैं  और  मेरा  दिल  थे  की  मानते  ही  नही  थे ...
किसी  एक  लड़की  से  तो  माँ  ने  इस  लिए  दूर  रहने  की  सलाह  दी  थी  क्युकी  उनके पिता जी  दिल  के  मरीज़  थे ..माँ  के  अनुसार  वो  सदमा  बर्दास्त  नहीं  कर  सकंगे  और  पाप  मेरे  सर   आयेगा ..लड़की के  बाप  का  heart attack हो जाने जैसी मुझमे क्या कमी  थी .. मुझे आज तक नहीं समझा आया .. अलबत्ता बाद में उनके  पूज्यनीय  पिता  जी  ने  अपने  कमज़ोर दिल की  बात  मानते  हुए  अपनी  खूबसूरत लड़की  की  शादी ऐसे दिल दहला देने वाले लड़के  के  साथ  की  .. कि  उसके  पिता  के  कमज़ोर  दिल  को  छोड़  अच्छे  अच्छे  दिल  वालो  को  heart attack होते  होते  बचा ...
मुझे  पता  चला  लड़की  मंडप  में  फेरे  लेते  वक़्त  बेहोश  हो  गयी  थी . .  खुसुर  पुसुर  के  बीच  आम  धरना  ये  बनी  की  लड़की  थक  गयी  है .. मुझे  यकीन  है  फेरों  के वक्त उसने  पति  का  चेहरा  पास  से  देखा  होगा ...

मेरे  से  प्यार  होते  ही  लड़कियों  की  शादी  कही  और  fix हो  जाती  .....
मामला  इस  हद्द  तक  आ  गया था  अब  कुछ  दिन  बाद  जिन  लड़कियों  की  शादी  न  हो  रही  हो  उनके  माँ  बाप  लड़कियों  को  मेरे  पास  प्यार  करवाने  के  लिए  लाने  लगते ...
मेरे  से  प्यार   लड़कियों  की  शादी  फिक्स  होने  की   gurantee था ...

Tuesday, July 27, 2010

Journey to Hostel

हमेशा  की  तरह  hostel से  वापस  घर  आना ... लौटने  का  reservation करना  और  journey date पर  2 दिन  के  लिए  reservation extend करा  देना ..घर  से  hostel के  लिए  वापस  train journy भी  एक  अपनी  किस्म  की feature film होती  है .. भारतीय  रेलवे presents से  लेकर  end credit (gwalior station) तक  उसमे  सब  कुछ  होता  है ..love,emotion,tragedy,drama और  हाँ  जुदाई  तक ..कभी  कभी  sex भी ....हर  स्टुडेंट  रास्ते  में  किसी  खूबसूरत  लड़की  से  मिलने  और  लिफ्ट  पाने  के  बावजूद  Phone number लेना  भूल  जाने  तक  कुछ  न  कुछ  मसाला  लेकर  ही  आता  है ...
एक  बार  शुरू  हुए  कहानी  हर  किसी के  लिए  catylist का  काम  करती  है .. कुछ  को तो  घर  से आने के  1 हफ्ते  बाद  याद  आता  है  की  उससे  आज  तक  न  दिखी  हुई ऐसी  खूबसूरत  लड़की  मिली  थी  और  वो  कैसे  उसके  साथ  ग्वालियर  उतर  जाती  अगर  उसका  बाप  साथ  न  होता ..मेरी  बात  निराली  थी ..मेरे  साथ  हमसफ़र  होना  तो  दूर ..अच्छा  खासा  पिछले  स्टेशन  से  आ  रही  लडकियां  भी  अगले  2 स्टेशन  का  भी  साथ  न  देती ....ठीक  से  याद  नहीं  लेकिन  शायद  अक्टूबर  था . . मैंने स्टेशन पर अपने भाई  से  हमेशा  की  तरह  भाव  भीनी  विदाई  ली  ..जाते  ही letter  लिखने  की  कसम  खा कर  ट्रेन  के  अंदर  आया   और  सबसे  पहले letter वाली  कसम  को  भूल  गया ..
शायद  तब  किसी  भी  व्यक्ति  के  साथ  होने  वाले  सामान  की  विचित्रता  ही  दुसरे  यात्रियों  को  सबसे  ज्यादा  आकर्षित  करती  थी .. स्लीपिंग  बैग  उसी   category का  था ..यहाँ  ये  बताना  जरूरी  है  की  आकर्षित  मैं हो  रहा  था  क्युकी  स्लीपिंग  बैग  मेरे  सामने  middle berth पर  सोने  जा  रही  लड़की  के  पास  था  ... जिसने  स्लीपिंग  बैग  को  बार  बार  देखना  ज्यादा  जरूरी  समझा  था  बजाये  1 बार  मुझे  देखने  के ... बहुत  देर  तक  वो  middle birth पर  घुटनों   के  बल  इधर  उधर  करती  रही  finaly उसने  अपने  दर्शनीय बदन  को  आँखों  में  चुभने  वाले  लाल  रंग  के स्लीपिंग  बैग  के  अंदर  छुपा लिया .. और  हाँथ  निकाल  स्विच  की  ओर बढ़ाया .. स्विच  पर हाँथ  रखा .. मेरे  पास  तीन  आप्शन थे देखने  के  लिए .. लड़की  का  चेहरा ,खूबसूरत  मुलायम  हाँथ  और  1856 में  लगा  कला  और  भद्दा  स्विच  ....
चेहरा  सबसे  स्वाभाविक  विकल्प  था .. उसने  स्विच  ऑफ  किया .. और  हाँ  लाइट  बंद  हो  इसके  पहले  मैने  अच्छे  से  देखा की  उसने  मुझे  देखा .. १  सेकंड के  लिए ...मेरा  १  घंटा  बर्बाद .. अब  सिर्फ  अनुमान  लगाने  के  अलावा  कोई  दूसरा  विकल्प  नहीं  था ....मैंने  लगाया  भी ..कुछ  अनुमान  आइसे   भी  जिसमे  मैंने  सोचा  की  शायद  वो  जो   करना  चाहती  है  उसके  लिए  लाइट  बंद  करना  भी  जरूरी  है ..अनुमान  लगाते  लगाते  कब   आँख  लगी  पता  भी  नहीं  चला ...आँख  खुली  तो  अवशेष  भी  शेष  न  बचे  थे ,, middle birth खुली  हुई  थी .. लड़की  का  नमो  निशाँ  नहीं  था ...रात  में  आँखों  में  लाल  रंग  चुभा   कर  और   सुबह  मेरे  चेहरे  का  रंग  उड़ा  कर ..वो  जा  चुकी  थी ...
निचली  birth  पर  खूब  सारा  सामान  रखा  था  और  एक  अधेड़  व्यक्ती  अपनी  ऊंची  सी  साड़ी  पहनी  बीवी  को  उसकी  चिंता  किये  बिना  बच्चे  को  लेकर  जल्दी  से  उतर  जाने  की  सलाह  दे  रहा  था ...
उसकी  आँखें  आज  तक  याद  हैं .. अब  कोई  मदद  नहीं  कर  सकता  मुझे  उसको  ढूँढने  में ..
Facebook भी  नहीं  ...

 परिवर्तन 

इस  बदलती  दुनिया  में  हम  कितना  बदले   हैं ? क्या  बाहरी  आवरण  की  तुलना  में  आतंरिक  बदलाव  कम्  है ?
हमे  packaging तो  नयी  चाहिए  लेकिन  माल  वही  पुराना  TESTED .. हमारी   फिल्मो  को  ही  देखो .. हम  14th floor में  रहने  वाली  फिल्मो  में  गाने  expect करते  हैं  "मैं  तुलसी  तेरे  आँगन  की ".. अब  डाकिया  डाक  ही  लाएगा .. email नहीं ...

Thursday, July 22, 2010

sochaaa nahii.n achhaa buraa dekhaaa sunaa kuchh bhii nahii.n

Bashir Badr

sochaaa nahii.n achhaa buraa dekhaaa sunaa kuchh bhii nahii.n
maa.ngaa khudaa se raat din tere sivaa kuchh bhii nahii.n

dekhaa tujhe sochaa tujhe chaahaa tujhe puujaa tujhe
merii Khataa merii wafaa terii Khataa kuchh bhii nahii.n

jis par hamaarii aa.Nkh ne motii bichhaaye raat bhar
bhejaa wahii kaaGaz use hamane likhaa kuchh bhii nahii.n

ik shaam kii dahaliiz par baiThe rahe wo der tak
aa.Nkho.n se kii baate.n bahut muu.Nh se kahaa kuchh bhii nahii.n

do chaar din kii baat hai dil Khaak me.n so jaayegaa
jab aag par kaaGaz rakhaa baakii bachaa kuchh bhii nahii.n

ahasaas kii Khushbuu kahaa.N, aavaaz ke juganuu kahaa.N
Khaamosh yaado.n ke sivaa, ghar me.n rahaa kuchh bhii nahii.n

आत्म-मंथन

ये ज़िन्दगी में एक ठहराव सा क्यों है ..इस मुकाम पर एक सुकून भी  है और आगे जाने की चाह भी .. क्या ये वक़्त है आत्म-मंथन का ?'